Luna 25 crash : अंतरिक्ष यान लूना 25 क्रैस, सुनते ही वैज्ञानिक की तबीयत बिगड़ी।

Lunna 25 crash :आखिर रूस का लूना-25 क्रैश क्यों हुआ? मिशन के साथ आखिरी क्षणों में क्या हुआ? चांद पर अंतरिक्ष यान उतारने के अधिकतर प्रयास असफल क्यों होते हैं? रूस के लिए अब आगे क्या? तो भारत के चंद्रयान-3 की स्थिति क्या है? चंद्रयान-3 को अपना सफर पूरा करने में इतना समय क्यों लग रहा? 23 अगस्त को ही चंद्रयान-3 क्यों उतर रहा?

Lunna 25 crash: रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रासकास्माज ने 10 अगस्त को लूना- 25 अंतरिक्ष यान लांच किया था। इसे मास्को से लगभग 3,450 मील (5,550 किमी) पूर्व में स्थित वोस्तोचनी कोस्मोड्रोम से लॉन्च किया गया था। लूना- 25 को 313 टन वजनी रॉकेट सोयुज 2.1 बी में भेजा गया था। मिशन को नाम लूना- ग्लोब दिया गया था। रूस इससे पहले 1976 में चांद पर लूना-24 उतार चुका है। विश्व में अबतक जितने भी चांद मिशन हुए हैं, वे चांद के भूमध्य रेखा पर पहुंचे हैं। लूना-25 सफल होता तो ऐसा पहली बार होता कि कोई मिशन चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड किया।
लूना-25 से शनिवार को संपर्क साधने में परेशानी हुई थी। इसके बाद उससे संपर्क करने की कई बार कोशिश की गईं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका। रासकास्माज के मुताबिक, शुरुआती जांच में पता चला है कि लूना-25 असली पैरामीटर्स से अलग चला गया था।इसके कारण वह सीधे चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास जाकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

Luna 25 crash

चंद्रयान-3 मिशन का लैंडर मॉड्यूल चांद की सतह से महज 25 से 150 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर लगा रहा है। इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 का दूसरा और अंतिम डीबूस्टिंग प्रक्रिया सफलतापूर्वक हो चुकी है और अब 23 अगस्त का इंतजार है, जब चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही भारत इतिहास रच देगा और ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अभी तक अमेरिका, रूस और चीन ने ही चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफलता हासिल की है। इतना ही नहीं चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कराने वाला भारत पहला देश हो सकता है।

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